*छठी नेशनल कांफ्रेंस ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्रायमरी केयर का औपचारिक शुभारंभ*
ब्यूरो रिपब्लिक न्यूज़ 18 उत्तराखंड/एम्स, ऋषिकेश में छठी नेशनल कांफ्रेंस ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर का औपचारिक शुभारंभ हो गया। बताया गया है कि “प्राइमरी केयर फिजिशियन आर द फाउंडेशन ऑफ़ पब्लिक हेल्थ सिस्टम” थीम पर आयोजित कांफ्रेंस तीन दिन तक चलेगी, जिसमें देशभर के फेमिली मेडिसिन विशेषज्ञ सामुदायिक स्वास्थ्य पर चर्चा करेंगे
शुक्रवार को एम्स की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की देखरेख में आयोजित फैमिली मेडिसिन और प्राइमरी केयर कांफ्रेंस का एनएचएम मिशन, उत्तराखंड की डायरेक्टर श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया व चिकित्सा महानिदेशक उत्तराखंड डॉ. तारा आर्या ने किया।
इस अवसर पर एनएचएम प्रमुख श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि प्राइमरी केयर में सरकार पहले से ही आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस तरह का जो भी कार्यक्रम जनस्वास्थ्य के लिए संचालित किया जाएगा वह प्राइमरी केयर से संबंधित होगा। जिसमें एनएचएम पूर्ण तरह से सहयोग करेगा। उन्होंने प्राइमरी केयर में प्रशिक्षण एवं रिसर्च को अधिकाधिक बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया
आयोजित कार्यक्रम में डॉ. स्वाति एस. भदौरिया ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी चिकित्सकों को जनस्वास्थ्य की बेहतरी के दृष्टिगत मेहनत से कार्य करने, अपने उद्देश्य पर केंद्रित रहने के साथ ही मुहिम को सफल बनाने का मूल मंत्र दिया।
चिकित्सा महानिदेशक डॉ. तारा आर्या ने कहा कि चिकित्सा एक ऐसा पेशा है जिसकी जरूरत इंसान को पहले भी थी और हमेशा बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि हमें किस तरह से बेहतर माहौल व व्यवहार के साथ मरीजों की चिकित्सा सेवा करनी है यह जिम्मेदारी भी चिकित्सक की है। कहा कि दूर-दराज के क्षेत्र में जो चिकित्सक कार्य कर रहे हैं, उनकी सतत सेवाओं की सराहना होनी चाहिए
उन्होंने प्राइमरी केयर को और बेहतर बनाने के लिए सभी डॉक्टर, नर्स की संयुक्त टीम तैयार करने की जरुरत बताई। जिससे कि गांव- समाज में जो भी मरीज हैं, उनके लिए एक स्वस्थ वातावरण की स्थापना की जा सके। इस अवसर पर सम्मेलन में संस्थान की डीन एकेडमिक प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी, एम्स आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर एवं सीएफएम विभाग के अपर आचार्य डॉ. संतोष कुमार, एएफपीआई के प्रेसिडेंट डॉ. रमन कुमार, प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग डॉ. स्मृति अरोड़ा, डॉ. प्रमेंद्र गुप्ता आदि चिकित्सा विशेषज्ञों ने विचार रखे।