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*उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा एम्स ऋषिकेश में रेजीडेंट चिकित्सको व फैकल्टी सदस्यों सहित नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं को संबोधित किया गया*

ब्यूरो रिपब्लिक न्यूज़ 18 उत्तराखंड/ ऋषिकेश/रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एम्स ऋषिकेश में रेजिडेंट चिकित्सको व फैकल्टी सदस्यो सहित नर्सिंग एवं पैरामेडिकल छात्रा-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई घटना पूरे देश के लिए चिंता का विषय है और इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज को भी आगे आकर चिंतन करने की आवश्यकता है।

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रविवार को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एम्स ऋषिकेश में रेजिडेंट चिकित्सकों व फैकल्टी सदस्यों सहित नर्सिंग एवं

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पैरामेडिकल छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। संस्थान के मुख्य सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बीते माह 9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के एक मेडिकल कॉलेज में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई अमानवीय घटना और जघन्य हत्या को सभ्य समाज के लिए गंभीर चिंताजनक कृत्य बताया।

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उन्होंने कहा कि भारत देश वसुधैव कुटुम्बकम् का ध्येय रखने वाला देश है, ऐसे में विश्व के कल्याण की कामना करने वाले देश में घटित हुई इस घटना ने मानव समाज को सोचने को मजबूर कर दिया है। उन्होंने 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड का

जिक्र करते हुए कहा कि बंगाल में हुई घटना निर्भया कांड से भी अधिक भी भत्स है। उपराष्ट्रपति ने कोविड काल के दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए वहां के चिकित्सकों द्वारा की गई कोविड संक्रमित लोगों की सेवा का उदाहरण दिया और कहा कि उस दौरान उन्होंने स्वयं बंगाल के चिकित्सकों को उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया था, धनखड़ कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को महिलाओं के साथ लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं पर दलगत भावना से ऊपर उठकर सोचना होगा और ऐसे मामलों में संसद को सख्त कानून बनाने में सहयोग करना चाहिए।


उन्होंने कहा कि हालांकि बंगाल में महिला चिकित्सक के साथ हुई घटना बेहद निंदनीय है, इसके बावजूद अभिभावकों को अपनी बच्चों को चिकित्सकीय पेशे से जोड़ने व देशहित में मानव सेवा के प्रति सकारात्मक रहने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने एम्स ऋषिकेश के क्रियाकलापों एवं उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने वर्ष 2012 में संस्थान में शुरू हुए एमबीबीएस पाठ्यक्रम के प्रथम सत्र से लेकर 2024 तक की चरणबद्ध शैक्षणिक उन्नति, चिकित्सकीय सेवाओं एवं प्रगति को रखा। उन्होंने बताया कि संस्थान के अंतर्गत उधमसिंहनगर के किच्छा में 218 बेड के सेटेलाइट सेंटर के निर्माण, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत एम्स ऋषिकेश परिसर में निर्माणाधीन 150 बेड क्षमता के क्रिटिकल केयर अस्पताल भवन के अलावा संस्थान द्वारा संचालित की जा रही टेलिमेडिसिन, ड्रोन मेडिकल आदि सेवाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीते 12 वर्षों की संस्थागत स्तर पर उत्तरोत्तर प्रगति के लिए ही इस वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क एन आईआरएफ द्वारा देश भर के शीर्ष 50 चिकित्सा संस्थानों में एम्स ऋषिकेश ने 14वीं रेंक हासिल की है।

समारोह में उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल सेनि. गुरमीत सिंह, सूबे के नगर विकास एवं वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, उपराष्ट्रपति के सचिव आईएएस सुनील कुमार, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, उप निदेशक प्रशासन ले. कर्नल अमित पराशर, एसई ले. कर्नल राजेश जुयाल, वित्तीय सलाहकार ले. कर्नल एस. सिद्धार्थ, प्रो. लतिका मोहन, प्रो. प्रशांत पाटिल, प्रो. नवनीत भट्, प्रो. एसके हांडू, प्रो. कमर आजम, प्रो. शालिनी राजाराम, प्रो. एके मंडल, प्रो. भानु दुग्गल, प्रो. रवि गुप्ता, नर्सिंग प्राचार्य प्रो. स्मृति अरोड़ा, डॉ. अंशुमान दरबारी, डॉ. रजनीश अरोड़ा, डॉ. रश्मि मल्होत्रा, डॉ. वरूण कुमार, डॉ. पुनीत धमीजा, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, एफएनसीओ चांदराम, जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह, एसएओ मुकेश पाल, एओ गौरव बडोला, विधि अधिकारी प्रदीप चंद्र पांडेय आदि मौजूद थे।
इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश के रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा चिकित्सकीय पेशेवरों की संपूर्ण सुरक्षा की मांग को लेकर सेंट्रल प्रोटक्शन एक्ट के मामले में तैयार किया गया बिल का ड्राफ्ट कार्यक्रम के दौरान देश के उपराष्ट्रपति को सौंपा गया। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान इस ड्राफ्ट का जिक्र करते हुए देशभर के चिकित्सकों को भरोसा दिलाया कि वह इस बिल को सकारात्मक तौर से संसद में रखेंगे , इस दौरान उन्होंने मौके पर ही साथ आए संबंधित अधिकारियों को विषय का संज्ञान लेकर इस दिशा में कार्यवाही आगे बढ़ाने को कहा।
कार्यक्रम के दौरान उप राष्ट्रपति ने एम्स के मुख्य सभागार परिसर में एक पेड़ मां के नाम मुहिम के तहत रूद्राक्ष का पौधा रोपकर तीर्थनगरी से आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय संवर्धन का संदेश दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के संरक्षण के लिए हमें धरती को हरियाली से आच्छादित करने का नैतिक संकल्प लेना चाहिए।

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